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Writer's picturePraveen Dhurve

गोंडी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग - युवा आदिवासी विकास संगठन ने सौंपा ज्ञापन


बैतूल। युवा आदिवासी विकास संगठन बैतूल के जिला अध्यक्ष जितेंद्र सिंह इवने के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति महोदया के नाम एक ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर मेडम को सौंपा गया है। इस ज्ञापन में गोंडी भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई है।



जितेंद्र सिंह इवने ने बताया कि भारतीय संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 343 से 351 तक राज्यभाषा के विषय का उल्लेख है। वर्तमान में 22 भाषाएं इस अनुसूची में शामिल हैं, लेकिन गोंडी भाषा को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। गोंडी भाषा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में आदिवासी समाज द्वारा बोली जाती है, जिसमें गोंड, परधान, बैगा, गायकी गोंड जैसी जनजातियां शामिल हैं।


आदिवासी विकास परिषद के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल वाड़िवा ने कहा कि गोंडी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की यह मांग बहुत पुरानी है। उन्होंने कहा।इस भाषा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से गोंडी बोलने वाले आदिवासियों का गौरव बढ़ेगा।महेश शाह उइके ने बताया कि गोंडी भाषा की व्याकरण, लिपि, कैलेंडर, साहित्य आदि का प्रकाशन हो चुका है। उन्होंने कहा गोंडी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने से इस भाषा के सदस्यों को राजभाषा आयोग में प्रतिनिधित्व मिलेगा, जिससे गोंडी की रूप, शैली और भावों का समृद्धि में प्रयोग किया जाएगा। जिला महासचिव रामदास उइके ने भी गोंडी भाषा की पहचान और विकास को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इस भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने पर समस्त भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवास करने वाले आदिवासी समुदाय आपके आभारी रहेंगे।


ज्ञापन सौंपने वालों में आदिवासी विकास परिषद के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल वाड़िवा, जयस के जिला प्रभारी महेश शाह उइके, जनपद सदस्य धन्नू उइके, जिला महासचिव रामदास उइके, मीडिया प्रभारी कानुलाल उइके, जिला उपाध्यक्ष अविनाश धुर्वे, सुनील कवड़े, सोहन वाड़िवा, दीपक उइके, राज उइके, जितेश कवड़े, दुलीचंद कुमरे, अतुल कवड़े, रामपाल, भरत कुमार भलावी, नितिन धुर्वे, उमेश परते, राजेंद्र लांजीवार सहित अन्य लोग शामिल थे।

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